कल रास्तों में गम.. के साये होंगे
आज अपने हैं तो कल पराये होंगे।
ख्वाब में क्या देखकर मुस्कुराते हैं
फ़क़त नींदों में खौफ.. खाए होंगे।
इस जमाने के कर्ज़दार. बन गए
अब मांगने वाले सर उठाये होंगे।
फैसले पर हौसले.. काबिज़ हो चले
कहीं रात फिर जाम छलकाये होंगे।
देखिये क्या सिला मिला ज़िन्दगी से
क्या सोच कर ये दिन दिखाये होंगे।
~~ अश्विनी बग्गा ~~
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