हर शख़्स का इक.. नाम होता है
हर राही का इक मुकाम होता है।
गै़र भी अमूमन याद आ जाते हैं
जब कोई ज़रूरी.. काम होता है।
सजदे़ में झुक जाता है सर उनके
हाथों में जिनके लगाम होता है।
भीड़ में खोकर सब जुदा दिखते हैं
हर खास शख़्स भी आम होता है।
हर लम्हा मौत के.. साये में रहता है
सर जिसके संगीन इल्ज़ाम होता है।
~~ अश्विनी बग्गा ~~
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