हर शब तेरे नाम का… हसीं तराना है
तेरे अल्फ़ाज़ों में इसे… गुनगुनाना है।
जुनूं चढ़ा है मुझ पर शायद इश्क़ का
पर कहते हैं लोग पागल-दीवाना है।
पा लिया है सब कुछ तुझे पाने के बाद
बाकी नहीं है कुछ जो अब कमाना है।
देखा है तेरे साथ.. इक दोस्ती का ख्वाब
सीखा तुझी से मैने क्या होता निभाना है।
लगते हैं खिलखिलाते वो सारे गुज़ारे पल
गम भी कोई शय है ये किसने जाना है।
बन गया है रिश्ता तुझसे कुछ इस तरह
डोर है नाजुक सी… और बंधते जाना है।
~~ अश्विनी बग्गा ~~
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